इसरो पर गर्व है भारत को: क्या है भारत का चंद्रयान २ मिशन, और क्या लोग कह रहे हैं इसके बारें में

चंद्रमा की सतह को छूने से चंद मिनट पहले लैंडर ‘विक्रम’ का जमीनी स्टेशन से संपर्क टूटने के बाद इसरो के एक अधिकारी ने शनिवार को बताया कि चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर चंद्रमा की कक्षा में सुरक्षित है. अधिकारी ने ‘पीटीआई’ से कहा, ‘‘ऑर्बिटर चंद्रमा की कक्षा में पूरी तरह ठीक एवं सुरक्षित है और सामान्य तरीके से काम कर रहा है.

चंद्रमा की सतह को छूने से चंद मिनट पहले लैंडर ‘विक्रम’ का जमीनी स्टेशन से संपर्क टूटने के बाद इसरो के एक अधिकारी ने शनिवार को बताया कि चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर चंद्रमा की कक्षा में सुरक्षित है. अधिकारी ने ‘पीटीआई’ से कहा, ‘‘ऑर्बिटर चंद्रमा की कक्षा में पूरी तरह ठीक एवं सुरक्षित है और सामान्य तरीके से काम कर रहा है.’’ 2379 किलोग्राम ऑर्बिटर के मिशन का जीवन काल एक साल है. उल्लेखनीय है कि 3,840 किलोग्राम वजनी चंद्रयान-2 को 22 जुलाई को जीएसएलवी एमके-3 एम1 रॉकेट से प्रक्षेपित किया गया था. चंद्रयान-2 ने धरती की कक्षा छोड़कर चंद्रमा की तरफ अपनी यात्रा 14 अगस्त को इसरो द्वारा ‘ट्रांस लूनर इन्सर्शन’ नाम की प्रक्रिया को अंजाम दिये जाने के बाद शुरू की थी. यह प्रक्रिया अंतरिक्ष यान को ‘लूनर ट्रांसफर ट्रेजेक्ट्री’ में पहुंचाने के लिये अपनाई गई. अंतरिक्ष यान 20 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में पहुंच गया था. चंद्रयान-2 के ‘ऑर्बिटर’ में चंद्रमा की सतह का मानचित्रण करने और पृथ्वी के इकलौते उपग्रह के बाह्य परिमंडल का अध्ययन करने के लिए आठ वैज्ञानिक उपकरण हैं. इसरो ने दो सितंबर को ऑर्बिटर से लैंडर को अलग करने में सफलता पाई थी, लेकिन शनिवार तड़के विक्रम का जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया था. इसरो ने कहा है कि वह आंकड़ों का विश्लेषण कर रहा है.

  1. 12 जून को इसरो के अध्यक्ष के. सिवन ने घोषणा की कि चंद्रमा पर जाने के लिए भारत के दूसरे मिशन चंद्रयान-2 को 15 जुलाई को प्रक्षेपित किया जाएगा.
  2. 29 जून को सभी परीक्षणों के बाद रोवर को लैंडर विक्रम से जोड़ा गया.
  3. 29 जून को लैंडर विक्रम को ऑर्बिटर से जोड़ा गया.
  4. 4 जुलाई को चंद्रयान-2 को प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी एमके तृतीय-एम1) से जोड़ने का काम पूरा किया गया.
  5. 7 जुलाई को जीएसएलवी एमके तृतीय-एम1 को लॉन्च पैड पर लाया गया.
  6. 14 जुलाई को  15 जुलाई को जीएसएलवी एमके तृतीय-एम1/चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण के लिए उल्टी गिनती शुरू हुई.
  7. 15 जुलाई को इसरो ने महज एक घंटे पहले प्रक्षेपण यान में तकनीकी खामी के कारण चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण टाल दिया.
  8. 18 जुलाई को चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण के लिए श्रीहरिकोटा के दूसरे लॉन्च पैड से 22 जुलाई को दोपहर दो बजकर 43 मिनट का समय तय किया गया.
  9. 21 जुलाई को जीएसएलवी एमके तृतीय-एम1/चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण के लिए उल्टी गिनती शुरू हुई.
  10. 22 जुलाई को  जीएसएलवी एमके तृतीय-एम1 ने चंद्रयान-2 को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया.
  11. 24 जुलाई को चंद्रयान-2 के लिए पृथ्वी की कक्षा पहली बार सफलतापूर्वक बढ़ाई गई.
  12. 26 जुलाई को दूसरी बार पृथ्वी की कक्षा बढ़ाई गई.
  13. 29 जुलाई को तीसरी बार पृथ्वी की कक्षा बढ़ाई गई.
  14. 2 अगस्त को चौथी बार पृथ्वी की कक्षा बढ़ाई गई.
  15. 4 अगस्त को इसरो ने चंद्रयान-2 उपग्रह से ली गई पृथ्वी की तस्वीरों का पहला सैट जारी किया.
  16. 6 अगस्त को पांचवीं बार पृथ्वी की कक्षा बढ़ाई गई.
  17. 14 अगस्त को चंद्रयान-2 ने सफलतापूर्वक ‘लूनर ट्रांसफर ट्रेजेक्टरी’ में प्रवेश किया.
  18. 20 अगस्त को चंद्रयान-2 सफलतापूर्वक चंद्रमा की कक्षा में पहुंचा.
  19. 22 अगस्त को इसरो ने चंद्रमा की सतह से करीब 2,650 किलोमीटर की ऊंचाई पर चंद्रयान-2 के एलआई4 कैमरे से ली गई चंद्रमा की तस्वीरों का पहला सैट जारी किया.
  20. 21 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा को दूसरी बार बढ़ाया गया.
  21. 26 अगस्त को इसरो ने चंद्रयान-2 के टेरेन मैपिंग कैमरा-2 से ली गई चंद्रमा की सतह की तस्वीरों के दूसरे सैट को जारी किया.
  22. 28 अगस्त को तीसरी बार चंद्रमा की कक्षा बढ़ाई गई.
  23. 30 अगस्त को चौथी बार चंद्रमा की कक्षा बढ़ाई गई.
  24. 1 सितंबर को पांचवीं और अंतिम बार चंद्रमा की कक्षा बढ़ाई गई.
  25. 2 सितंबर को लैंडर विक्रम सफलतापूर्वक ऑर्बिटर से अलग हुआ.
  26. 3 सितंबर : विक्रम को चंद्रमा के करीब लाने के लिए पहली डी-ऑर्बिटिंग प्रक्रिया पूरी हुई.
  27. 4 सितंबर को दूसरी डी-ऑर्बिटिंग प्रक्रिया पूरी हुई.
  28. 7 सितंबर को लैंडर ‘विक्रम’ को चंद्रमा की सतह की ओर लाने की प्रक्रिया 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई तक सामान्य और योजना के अनुरूप देखी गई, लेकिन बाद में लैंडर का संपर्क जमीनी स्टेशन से टूट गया.

चंद्रयान-2 का मिशन अधूरा रहने पर पीएम नरेंद्र मोदी ने इसरो के वैज्ञानिकों की हिम्मत बढ़ाई। साथ ही डटे रहने को भी कहा। पीएम कहते हैं कि इस बार नहीं तो अगली बार सही, ये तो लगा रहता है, आप हौसला रखिये।  सत्ता पक्ष से जुड़े सभी नेताओं का बोलना भी यही है।  अब देश के विपक्षी नेताओं के बयान भी जान लेते हैं। सबसे पहले कांग्रेस कि बात करते हैं। कांग्रेस ने अपने ट्विटर अकाउंट पर ट्वीट किया-

 “इसरो की पूरी टीम को बधाई। आपकी कोशिशों ने इतिहास बनाया है और देश को गौरवांवित महूसस करवाया है।”

उनके नेता राहुल गांधी कहते हैं कि आपका काम बेकार नहीं जाएगा। इस मिशन ने आने वाले स्पेस मिशंस के लिए नींव रखी है। प्रियंका ने भी इसरो टीम की तारीफ करते हुए कहा कि रुकावटें तो रास्ते में आती ही हैं। उनके बिना जीत अधूरी है। इसके बाद हमेशा सरकार की आलोचना करने वाले अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हमें वैज्ञानिकों पर गर्व है। उन्होंने इतिहास रचा है।दिल छोटा करने की जरूरत नहीं।  कुल मिलाकर विपक्ष के नेताओं ने भी वही रुख अपनाया, जैसा उनको अपनाना चाहिए था। साइंटिस्टों का हौसला बढ़ाने वाला। सरकार की आलोचना करने के चक्कर में इसरो को लपेटे में नहीं लिया। देश की तरक्की के लिए किए गए इस प्रयास में वो एकजुट दिखे।

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