उत्तराखंड और केंद्रीय सरकार के आपराधिक कार्यों के खिलाफ जन अभियान

उत्तराखंड और केंद्रीय सरकार के आपराधिक कार्यों के खिलाफ जन अभियान

केंद्र और उत्तराखंड सरकार जंगल और जमीन पर आमलोगों के क़ानूनी अधिकारों का आपराधिक  तरीकों  सेउल्लंघन कर रहे है ।   विकास के नाम पर बड़ी कंपनियोंको भ्रष्ट अधिकारियों  द्वारा  फायदा पहुंचा कर एक बड़ेघोटाले की साजिश की जा रही है। उक्त मुद्दों एवं पंचेश्वर बाँध पर 21 और  22  अप्रैल को देहरादून में एक बड़ाजन सम्मलेन आयोजित किया जा रहा है।  जिस मेंप्रभावित क्षेत्र से लोग, राज्य के जन संघटन औरबुद्धिजीव भागीदारी करेंगे ।

पंचेश्वर बाँध के प्रभावित क्षेत्रों में वन अधिकार कानून2006 का घोर उल्लंघन हो रहा है। पिथौरागढ़ में पंचेश्वरबांध से प्रभावित ग्राम सभाओं से एनओसी लेने की जोप्रक्रिया शुरू की गई है  वह सरासर गैरकानूनी ही नहींअपराध भी है। उत्तराखंड सरकार ने पिथौरागढ़ जिले केना तो किसी नागरिक को ना ही ग्राम समुदाय को वनअधिकार कानून 2006 के तहत कोई भी अधिकार पत्रआज तक दिए है। जबकी  कानून की धारा 4 (5 ) केअनुसार क़ानूनी प्रक्रिया पूरा होने से पहले किसी कोहटाना अपराध है। इसलिए भी अपराध है क्योंकि वनअधिकार कानून 2006 के तहत ग्राम सभा की अनुमतिके बिना ना तो कोई विकास कार्य किया जा सकता हैऔर ना ही सरकार किसी प्रकार का हस्तक्षेप गांव समाजकी भूमि में कर सकती है।

पिथौरागढ़ के अलावा जहांजहां विकास परियोजनाएंसरकार द्वारा स्वीकृत है, बड़े बांधों से लेकर ऑल वेदरप्रोजेक्ट तक, हर जगह ग्राम सभा की अनुमति वनअधिकार कानून 2006 के तहत सरासर अनिवार्य है। इसमें ना तो सरकार ने इस कानून के तहत लोगों कोकोई अधिकार पत्र दिए हैं और ना ही कोई  जानकारी दीहै। जिला प्रशासन साजिशन ग्राम समाज से अनुमति पत्रमांग रहा है इसके लिए ग्राम प्रधानों पर अधिकारियों केद्वारा दबाव भी बनाया जा रहा है जो कि सरासर निंदनीयऔर चिंतनीय है।

केंद्र में भी भाजपा सरकार खामोशी से  इसी तरह केगैरकानूनी कामों को अंजाम देने में लगी है। फरवरी 16को केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने “draft Compensatory Afforestation Fund Rules” को घोषित किया था। 50000 करोड़ से ज्यादापेड़ को लगाने के नाम पर एक कोष केंद्रीय सरकार केपास है।  यह पैसे परियोजना के डेवलपर से लिया गयाथा। लेकिन इन नए नियमावली एवं 2016 के अधिनियममें भाजपा सरकार ने लोगों के अधिकारों को कोईमान्यता नहीं दी है वन विभाग के अधिकारियों के हाथोंमें सारे अधिकार दे गए है। जबकि CAG की 2013 कीरिपोर्ट के अनुसार वन विभाग के वृक्षारोपण कीयोजनाओं में काफी भ्रष्टाचार है और पैसों का दुरुपयोगहै। अब इस कानून और नियमावली के तहत वन विभागको लोगों की खेती, गौचर जमीन और गांव के आमज़मीन पर वृक्षारोपण या वन संरक्षण के नाम पर कब्ज़ाकरने का अधिकार मिल गया है।

वन अधिकार कानून को  ताक में रखते हुए परियोजनाएंके लिए जमीन देना ; अभ्यारण से लोगों को गैरक़ानूनीतरीके से विस्थापन करना ; क़ानूनी प्रक्रिया का उल्लंघनकर लोगों के बेदख़ल करना ; इस तरह के आपराधिककाम केंद्रीय सरकार लगातार कर रही है।

इन सारी आपराधिक नीतियों के खिलाफ चेतनाआंदोलन और उत्तराखंड के जन संगठनों की और सेव्यापक स्तर पर अभियान चलाया जाएगा। इस अभियानका  पहला  कार्यक्रम 21 और 22 अप्रैल को देहरादून में आयोजित किया जा रहा है।

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