उत्तराखंड के सेब को हिंमाचल के सेब के नाम से बेचा जाता है, जबकि उत्तराखंड में खूब होती है सेब की फसल 

देहरादून: उत्तराखंड में सेब की उत्पादन क्षमता में प्रति वर्ष बढ़ोतरी देखने को मिल रही है इस वर्ष भी पिछले सालों की तुलना में सेब की 25 फीसदी वृद्धि हुई है राज्य में पिछले वर्ष लगभग 60 हजार मीट्रिक टन सेब उत्पादन हुआ था जो कि इस वर्ष 80 हजार मीट्रिक टन होने की संभावना है उद्यान विभाग के प्रभारी निदेशक आरसी श्रीवास्तव का कहना है कि इस बार राज्य में अच्छा हिमपात और बारिश हुई। इससे सेब की दो प्रजातियों गोल्डन डिलीशियस और रेड डिलीशियस ज्यादा हुआ है और अधिक मीठा भी हुआ है।

लेकिन दुर्भाग्य इस प्रदेश का यह है की राज्य गठन के इतने वर्ष बीत जाने के बाद भी प्रदेश अपने सेब का ब्रांड नहीं बना पाया जो तमाम सरकारों की विफलता को दर्शाता है साथ ही यहाँ के किसानो को लाचार बनाता है कि वे उत्तरकाशी और दून के पर्वतीय क्षेत्र में होने वाले सेब को दूसरे प्रदेश के की ब्रांडिंग के जरिये बेचे जबकि टिहरी में धनोल्टी से दस किमी चंबा की तरफ काणाताल और पौड़ी के भरसार में भी हर बार सेब की अच्छा पैदावार हो रही है।

लेकिन सरकार की लचर ब्यवस्था प्रणाली के चलते इस ओर किसी भी प्रकार की पहल नहीं दिख रही है यदि उत्तराखंड में सेब का अपना ब्रांड होता तो किसानो को इसका लाभ अवश्य मिलता।

 

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