क्या आपको पता है क्यूँ हिन्दू मानते हैं नवरात्रे, और क्यों मनाया जाता है ये त्यौहार
सर्व मंगल मंगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके
शरण्ये त्र्यम्बिके गौरी नारायणी नमोस्तुते ||
शरणागत दीनार्थ परित्राण परायाणी
सर्वस्यार्ती हरे देवी नारायणी नमोस्तुते ||
नवरात्रे का पर्व क्यूँ मनाया जाता है और माँ दुर्गा की पूजा क्यूँ की जाती है इसके पीछे 2 कहानियां है-
1 कहानी की अनुसार जब राम और रावण का लंका में युद्ध चल रहा था तब ब्रम्हा जी ने राम जी से कहा की वो रावण का वध करने की लिए चंडी देवी का पूजन करें, और देवी को प्रसन्न करें, जिसके लिए विधि अनुसार 108 नीलकमल की व्यवस्था कर दी गयी. लेकिन वहीँ रावण भी देवी चंडी की पूजा खुद को अमर करने के लिए करने लगा. लेकिन इस बात को इन्द्रदेव ने पवन देव की सहायता से श्री राम तक पंहुचा दिया.
लेकिन रावण ने अपनी माया से श्री राम जी के 108 नीलकमल में से 1 नीलकमल गायब करवा दिया जिससे राम जी की पूजा में विघ्न पड़ जाय. राम को लगा की माता मेरी इस अधूरी पूजा से गुस्सा हो जाएँगी और कुपित होकर मुझे श्राप दे देंगी तो राम जी ने सोचा अब क्या किया जाय, फिर उनको ध्यान आया की उनको ‘कमल- नयन नवकंज लोचन’ के नाम से भी जाना जाता है तो क्यूँ न अपनी 1 आँख माता को भेंट करके अपनी पूजा पूरी की जाए जब तक राम अपनी आँख माता को अर्पित करने ही वाले थे तब तक माता प्रकट हो गयी और कहा में तुमारी पूजा से प्रसन्न हुई, और राम जी को विजयी होने का वरदान दे दिया.
वहीँ रावण भी माता की पूजा कर रहा था लेकिन उसकी पूजा के स्थान पर हनुमान जी 1 छोटे बालक के रूप में प्रकट हो गए और उन्होंने जो ब्राह्मण वहां पूजा कर रहे थे उनके मुंह से 1 श्लोक जिसको ‘जायादेवी भूर्तिहरिणी’ उच्चारण होने था उसका ‘जयदेवी भूर्तिकरिणी’ उच्चारण करवा दिया. भूर्तिहरिणी का मतलब होता है भक्त की पीड़ा हरने वाली और वहीँ करणी का मतलब होता है पीड़ा देने वाली , इस बात से माता कुपित हो गयी और रावण को उसके सर्वनाश का श्राप दे दिया. जिससे रावण का सर्वनाश हो गया.
क्या है नवरात्री की दूसरी कथा
एक कहानी के अनुसार देत्य महिषासुर ने देवताओं को अपनी उपासना से खुश कर दिया जिससे देवताओं ने उसे अजेय होने का वर दे दिया.लेकिन उसने इस वरदान का गलत फायदा उठाया और देवताओं पर ही अत्याचार करने लगा, उसने सभी देवताओं को जीत लिया और खुद स्वर्ग का मलिक बन गया.
देवता महिषासुर के दर से पृथ्वी पर रहने लगे, और फिर उसके डर से देवताओं ने माता दुर्गा की उपासना की और अपने सारे अस्त्र -शस्त्र माता को अर्पित कर दिए. जिस से माता काफी बलवान हो गयी थी, फिर उन्होंने महिषासुर से युद्ध किया जो युद्ध 9 दिनों तक चला था. और अंत में माता ने महिषासुर का वध कर दिया जिससे उनको महिषासुरमर्दिनी कहा गया.
वर्ष में 2 नवरात्रे क्यूँ आते हैं.
सिर्फ नवरात्रे ही ऐसा त्यौहार है जो साल में 2 बार मनाया जाता है- एक गर्मियों की शुरुआत चैत्र में और दूसरा सर्दी की शुरुआत में आश्विन महीने में.गर्मी और शर्दी की शुरुआत में हमको सूर्य उर्जा काफी प्रभावित करती है क्यूंकि सारी मोसमी क्रियाँए इन्ही समय में होती है फसल का पकना, बारिश होना आदि तो इसी वजह से माता की आराधना करने के लिए यह समय सबसे अच्छा माना जाता है.जब नेचर में बदलाब आते हैं तो हमारे तन मन में भी बदलाव आते हें इसीलिए अपना संतुलन बनाये रखने के लिए हम माता और शक्ति की पूजा करते हैं. कहीं कहीं इसे भगवान राम के जन्म के उपलक्ष में भी मनाया जात है.
जानिए क्यों मनाते हैं नवरात्रि का त्योहार
नवरात्रि हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है। नवरात्रि का अर्थ है नौ रातें। इन नौ रातों और दिनों के दौरान देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है | यह देवी का रूप बालिका के रूप में स्पष्टित है जिसमें नौंवें दिन बालिकाओं के रूप में देवी के स्वरुप का पूजन करके बालिकाओं को यथेष्ट भोजन एवं द्रव्य दक्षिणा देकर देवी को प्रसन्न किया जाता है |
या देवी सर्वभूतेषु मातृ रूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||
जो देवी इस समस्त चराचर जगत में माता के रूप में स्थित है हम उन मातृस्वरूपा देवी को प्रणाम करते हैं |
नवरात्रि में होती है इन नौ देवियों की पूजा
प्रथमें शैलपुत्री च द्वितीये ब्रह्मचारीणी |
तृतीये चन्द्रघंटेती कुष्माडेति चतुर्थकं ||
पंचमं स्कन्दमातेति षष्ट कात्यायिनेती च |
सप्तमं कालरात्रि च महागौरीति चाष्टम |
नवमं सिद्धदात्री च नव दुर्गा प्रकीर्तिता ||
श्री शैलपुत्री- इसका अर्थ- पहाड़ों की पुत्री होता है।
श्री ब्रह्मचारिणी- इसका अर्थ- ब्रह्मचारीणी।
श्री चंद्रघंटा – इसका अर्थ- चाँद की तरह चमकने वाली।
श्री कूष्माडा- इसका अर्थ- पूरा जगत उनके पैर में है।
श्री स्कंदमाता- इसका अर्थ- कार्तिक स्वामी की माता।
श्री कात्यायनी- इसका अर्थ- कात्यायन आश्रम में जन्मि।
श्री कालरात्रि- इसका अर्थ- काल का नाश करने वली।
श्री महागौरी- इसका अर्थ- सफेद रंग वाली मां।
श्री सिद्धिदात्री- इसका अर्थ- सर्व सिद्धि देने वाली।
आदिशक्ति के हर रूप की नवरात्र के नौ दिनों में क्रमशः अलग-अलग पूजा की जाती है। माँ दुर्गा की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री है। ये सभी प्रकार की सिद्धियाँ देने वाली हैं। इनका वाहन सिंह है और कमल पुष्प पर ही आसीन होती हैं। नवरात्रि के नौवें दिन इनकी उपासना की जाती है।
प्रार्थना
नमो मां भवानी नमो विश्वधात्री नमो चन्द्रबदनी नमो सिद्धदात्री |
तु हि जगत मां तु हि एक तू है नहीं कोई वस्तु जहाँ तू नही है ||
दयालु दया मां दया है रिझाई लिया नाम तेरा वहीँ दौड़ आई |
करो भक्त की मां सभी आस पूरी नमो राजराजेस्वारी मातु मेरी ||
नमो राजराजेस्वारी मातु मेरी नमो राजराजेस्वारी मातु मेरी ||