देहरादून ; खुद सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस बात की घोषणा की है।
उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बड़ा ऐलान किया है। सीएम त्रिवेंद्र का कहना है कि देहरादून के रिस्पना पुल का नाम बदला जाएगा। दरअसल सीएम त्रिवेंद्र ने सचिवालय में आर्य समाज के प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात की थी। इस दौरान मुख्यमंत्री ने घोषणा की ऋषिपर्णा नदी पर बने रिस्पना पुल का नाम बदलकर स्वामी दयानंद सेतु रखा जाएगा। इस मौके पर विधायक स्वामी यतीश्वरानंद, पुष्कर सिंह धामी और स्वामी आर्यवेश समेत प्रदेशभर से आए लोग मौजूद थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि देश की आजादी का प्रथम बिगुल फूंकने वाले महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती थे। राज्य सरकार ने रिस्पना को पुनर्जीवित करने का फैसला लिया है। बताया जा रहा है कि 127 ईको टास्क फोर्स ने इस तरफ काम करना भी शुरू कर दिया है। इसके अलावा इस काम के लिए एक जूनियर टास्क फोर्स भी बनाई गई है।
इस टास्क फोर्स के जरिए स्कूली छात्रों को इस अभियान से जोड़ा जाएगा। सीएम त्रिवेंद्र का मानना है कि रिस्पना से ऋषिपर्णा अभियान के तहत रिस्पना नदी को भी अपने पुराने स्वरूप में लाया जाएगा। फिलहाल रिस्पना नदी में पानी की मात्रा बेहद कम है। सीएम का कहना है कि इस नदी के जलस्तर को बढ़ाना सबसे पहला लक्ष्य है। रिस्पना नदी का मूल स्थान मसूरी के पास लंढौर में है। लंढौर से ही ये अभियान शुरू किया जाएगा। नदी की साफ-सफाई और सघन वृक्षारोपण अभियान का काम शुरू किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने रिस्पना से ऋषिपर्णा अभियान में जनता का भी सहयोग मांगा है। उनका कहना है कि व्यापक जन सहभागिता से ही इस अभियान को सफल बनाया जा सकता है। सीएम ने कहा कि जन सहयोग से इसे जनता का आंदोलन बनाया जाएगा। इस तरह से रिस्पना नदी को भी पुनर्जीवित किया जाएगा।
रिस्पना नदी को पुनर्जीवित करने के लिए युवाओं की संस्था मैड को भी इस अभियान से जोड़ा जाएगा। विधान सभा के पास ऋषिपर्णा नदी पर रिस्पना पुल बना है। इस पुल का नाम बदलकर स्वामी दयानंद सेतु रखा जाएगा। खुद सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस बात की घोषणा की है। दरअसल आर्य समाज के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री से सचिवालय में मुलाकात की थी। सीएम ने कहा है कि रिस्पना पुल का नाम स्वामी दयानंद सरस्वती के नाम पर ही रखा जाएगा। कुल मिलाकर कहें तो सरकार ने रिस्पना पुल का नाम बदलने का मन बना लिया है। आगे किस तरह से रिस्पना पुनर्जीवित होती है, ये एक रोचक विषय हो सकता है। फिलहाल सरकार लगातार इस नदी को भी नया रूप देने की कोशिशों में जुटी है।