क्या है जीवन का लक्ष्य ?
एक प्रश्न जिसका जवाब हर कोई जानना चाहता है की जीवन का लक्ष्य क्या है | क्या खाना पीना सोना
आजीविका चलाना और फिर ग्रहस्थी संभालना | क्या यही जीवन का लक्ष्य है या कुछ और है,
जिससे हम अनजान है न हमने कभी उसके लिए सोचा है न ही कभी कोसिस की जानने की | 90-95
साल तक जीवित रहने का कोर्इ मकसद तो होगा ही | जीवन का ध्येय है जन्म-मरण के चक्र से छूटना
इससे मुक्ति पाना ताकि हमे फिर से इस चक्र में न फसे | गीता में लिखा है की जीवन का लक्ष है
आत्मज्ञान और आत्मज्ञान आत्म-चिन्तन से ही प्राप्त हो सकता है। आत्मचिंतन से मन को स्थिर करना |
पर मन पर काबू पाना बड़ा मुश्किल है क्यों की ये मन कभी रुकता ही नही अभी यह है तो थोड़ी देर
कही इसको रोकना ऐसा है जैसे वायु को रोकना | सबसे पहले इस मन पर काबू पाना है तो अपनी
इन्द्रियों पर काबू पाना होगा क्योंकि जब हम इन इन्द्रियों पर काबू पायेगे तभी हम मन को भी काबू पा
सकते है और इस पर जो काबू पा ले उसे इस जीवन का लक्ष्य मिल जाता है की वास्तव में जीवन का
लक्ष्य क्या है |
हम अपनी जिन्दगी के आधे से ज्यादा समय को इसी बात पर गोर करने मे बिता देते है की आखिर हम करना क्या चाहते है हमारे बेटे पति या पत्नी क्या करना चाहते है किन्तु फिर भी हमे ये हासिल नहीं हो पता की क्या करे.
सबसे पहले हमे अपने मन को शांत करके खुद से ये पूछना चाहिए की आखिर जब भगवान ने हमें इतनी सुंदर जिन्दगी दी है तो किस लिए दी है,क्या सिर्फ अपने परिवार के बारे मे या खुद के बारे मे सोचने के लिए हमें उन महान लोगो के बारे मे सोचना चाहिए जिन्होंने अपनी सारी जिन्दगी लोगो की भलाई मे लगा दी तो क्या वो लोग अपनी जिन्दगी नहीं जी पाए या क्या वो लोग खुस नहीं थे सही मायने मे वो लोग हमसे भी ज्यादा खुस थे और रहते है क्यूंकि उनको आत्मा की शांति मिलती है.
हमें अपने भले के साथ साथ अपने अछे बुरे कामो को भी याद रखना चहिये ताकि हम जो भी काम करे उस से किसी को कोई तकलीफ न हो उसी मे हम खुस रह सकते है वरना आज नहीं तो कल कभी न कभी हमे अपने दिल से आवाज सुनाई देगी जो हमें हमारे बुरे कामो का फल देगी और दुखी करेगी.
दीपक फोन्दनी