उत्तराखंड हाईकोर्ट की सख्ती के बाद देहरादून और हरिद्वार जिले में नियमों को ताक पर रखकर पिछले चार साल से जमे शिक्षक अब पहाड़ चढ़ेंगे।

विभाग की ओर से हरिद्वार के 31 शिक्षकों के बाद देहरादून के 40 शिक्षकों को रिलीव कर दिया गया है।

इन शिक्षकों की मूल स्कूलों में तैनाती से पहाड़ के दूरदराज के स्कूलों में शिक्षकों की कमी की समस्या कुछ हद तक दूर हो सकेगी। शिक्षा विभाग में 21 नवंबर 2016 को 500 से अधिक शिक्षकों को पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, पौड़ी, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, चमोली आदि विभिन्न जिलों से हरिद्वार, देहरादून, ऊधमसिंहनगर आदि जिलों में अटैच किया गया था।

उस दौरान इन शिक्षकों की ओर से अपनी पारिवारिक परिस्थितियां बताई गई थीं, लेकिन इस बीच शासन और शिक्षा निदेशालय के कई बार के आदेश के बाद भी ये शिक्षक अपने मूल विद्यालयों में नहीं गए। 19 नवंबर 2020 को हाईकोर्ट में इन शिक्षकों की याचिकाएं खारिज होने के बाद विभाग की ओर से इन्हें मूल विद्यालय के लिए रिलीव कर दिया गया है।

देहरादून के जिला शिक्षा अधिकारी की ओर से जिन शिक्षकों को उनके मूल विद्यालयों के लिए रिलीव किया गया है, उन शिक्षकों के मूल विद्यालय पौड़ी, नैनीताल, उत्तरकाशी, टिहरी गढ़वाल, चमोली, रुद्रप्रयाग आदि में हैं, जो पिछले चार साल से अपने मूल विद्यालयों को छोड़कर देहरादून में जमे हुए थे।

भूमि अधिग्रहण के नाम पर तबादलों में छूट का खेल:
शिक्षा विभाग में भूमि अधिग्रहण के नाम पर तबादलों में छूट का खेल चल रहा है। नियमानुसार विस्थापित होने पर तबादलों में छूट की व्यवस्था है, लेकिन शिक्षा विभाग की ओर से भूमि अधिग्रहण वाले प्रस्ताव भी धारा 27 के तहत तबादलों में छूट के लिए भेजे जा रहे हैं।

हैरानी की बात यह है कि बिना विस्थापन के इस तरह अब तक कई शिक्षक तबादलों में छूट पा चुके हैं। वर्ष 2016 में नियमों को ताक पर रखकर सुगम स्कूलों में अटैच शिक्षक भी भूमि अधिग्रहण के नाम पर तबादलों में छूट पा रहे हैं।

धारा 27 के तहत मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति तबादलों में छूट की सहमति देती है। समिति तबादला एक्ट में व्यवस्था न होने के बाद भी छूट दे सकती है।
– वीएस रावत, अपर निदेशक, बेसिक शिक्षा

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