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इस दीपावली जौनपुर ब्लॉक के भूटगांव में गोबर के दीयों से घरों के साथ जीवन में भी प्रकाश फैलेगा।

दरअसल, इन दिनों गांव की महिलाएं गोबर से दीये, गमले और पूजन सामग्री तैयार कर रही हैं। पर्यावरण संरक्षण से जुड़ी इस पहल के लिए महिलाओं ने समूह का गठन किया है और उनके इस काम में वन विभाग सहयोग भी कर रहा है। समूह से गांव की 20 महिलाएं और पांच पुरुष भी जुड़े हैं।

भूटगांव में धात्री स्वयं सहायता समूह की ओर से गाय के गोबर से दीये, गमले और पूजन सामग्री तैयार की जा रही है। समूह से जुड़े सदस्य रोजाना करीब छह सौ दीये तैयार कर रहे हैं। इसी तरह करीब सौ गमले भी बनाए जा रहे हैं। स्थानीय बाजार के अलावा इनकी डिमांड देहरादून और मसूरी में भी है। एक दीये की कीमत पांच रुपये है, जबकि गमले के तीन साइज हैं, जो 10 से 35 रुपये के बीच बेचे जा रहे हैं। समूह की अध्यक्ष रोशनी देवी और सचिव कृष्णा देवी बताती हैं, गांव की महिलाएं खेतीबाड़ी और घर का काम निपटाने के बाद दो से तीन घंटे बैठकर गोबर से दीये तैयार करती हैं। उनका कहना है कि अभी तो बस शुरुआत है, जैसे-जैसे डिमांड बढ़ती जा रही है, महिलाएं उत्साहित हो रही हैं।

विशेष दीयों की डिमांड ज्यादा:
इस दीपावली पर विशेष दीयों की डिमांड ज्यादा है। इसके लिए देहरादून से दस हजार, मसूरी से पांच हजार और मसूरी की ही एक संस्था ने तीन हजार दीयों की डिमांड भेजी है। इसके अलावा स्थानीय बाजार में भी इन दीयों की काफी डिमांड है। इसके लिए स्थानीय दुकानदार व स्थानीय लोग समूह से संपर्क कर रह हैं।

वन विभाग कर रहा सहयोग:
समूह के इस कार्य में वन विभाग भी सहयोग कर रहा है। मसूरी वन प्रभाग के तहत बदरीनदी रेंज के माध्यम से समूह को मशीनें उपलब्ध करवाई गई हैं। समूह से जुड़े सदस्य गांव में गोबर एकत्रित कर इससे सामग्री तैयार कर रहे हैं। रेंज अधिकारी मेधावी कीर्ति का कहना है कि विभाग की ओर से इस कार्य में हरसंभव सहयोग दिया जाएगा। विभाग ने ही महिलाओं को समूह बनाने को प्रेरित किया।

इस पहल की अभी शुरुआत की गई है। गोबर से सामग्री तैयार करने के साथ ही इसका प्रचार-प्रसार भी किया जा रहा है। जल्द ही इसे बड़े स्तर पर शुरू किया जाएगा। क्षेत्रवासी भी इस पहल का स्वागत कर रहे हैं।
विक्रम वर्मा, सरपंच भूटगांव

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