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राम मंदिर का विवाद कब होगा खत्म, सुप्रिम कोर्ट का 1 और फैसला

राम मंदिर पर आये मगलवार को सुप्रिम कोर्ट के फैसले ने फिर से हेरत में डाल दिया है, कोर्ट ने कहा है की इस फैसले को कोर्ट के बहार ही सुलजाया जाए, और जो सायद मुस्किल होगा. अब कोर्ट के फैसले पर अमल करें तो क्या बाबरी-राम मंदिर का विवाद कोर्ट के बहार आपसी बातचीत से सुलझाया जा सकता है? अभी तक की रिपोर्ट के अनुसार ऐसा होना आसान काम नहीं है. अब ये देखना है की क्या लोग कोर्ट के बहार आपस में बातचीत कर इस मसले को सुलझा देंगे या फिर कोर्ट को ही इस मसले पर फिर से फैसला लेना होगा.

 

इस बात पर हुई थी बात…

२०१५ में 1 फैसला आया था जिसमे कहा गया था की इस पूरी जमीन पर मंदिर और मस्जिद दोनों का ही निर्माण होगा और बीच में एक १०० फीट ऊँची दिवार लगा दी जाएगी ताकि भविष्य में कोई परेशानी न हो.

इस फैसले में बीजेपी और विश्व हिन्दू परिषद को दूर रखने की बात कही गई थी.और पर्तिक्रिया में vhp ने इस बात पर सवाल खड़ा किया था. वीएचपी के केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम दास ने कहा था कि मामला सुप्रीम कोर्ट में है। उन्होंने कहा था कि अयोध्या मामले में ज्ञानदास की कहीं कोई भूमिका नहीं है, जबकि हाशिम अंसारी और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के जफरयाब जिलानी के बीच अनबन है। बाद में अपने बयानों से पलटते हुए महंत ज्ञानदास ने कहा था कि वह इस मामले में पक्षकार नहीं हैं, उनकी भूमिका बस इतनी है कि सभी पक्षों से अनुरोध करेंगे कि ऐसा कोई फॉर्म्युला तैयार करें, जिससे अयोध्या विवाद हमेशा के लिए खत्म हो जाए। ऐसे में समझौते का फॉर्म्युला परवान नहीं चढ़ सका। 2016 में हाशिम अंसारी का इंतकाल के बाद इसे लेकर कोई गंभीर कोशिश भी नहीं की गई।

काफी बार हो चुकी है बातचीत

बाबरी ऐक्शन कमिटी के संयोजक जफरयाब जिलानी के अनुसार 1986 में तब के कांची कामकोटि के शंकराचार्य और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रेसिडेंट अली मियां नादवी के बीच बातचीत शुरू हुई थी, लेकिन कोई हल नहीं मिला। १९९० में pm चंद्रशेखर ने up के cm मुलायम सिंह यादव और राजस्थान के cm भेरों सिंह शेखावत के साथ मिलकर कोशिश की तो थी पर नाकाम रही। उसके बाद pm नरसिंह राव ने भी कांग्रेस नेता सुबोध कान्त के साथ मिलकर कोसिस की थी और कुछ हिस्सा खड़ा भी किया था पर बाद में विवाद के चलते इसे भी गिरा दिया गया था.

 क्या फैसला दिया था हाई कोर्ट ने
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस मामले में 1 फैसला 30 sep. 2010 को दिया था जिसमे उसने कहा था की इस जमीन से राम की मूर्ति नहीं हटाई जाएगी.और कोर्ट ने जमीन को तीन हिस्सों में बांट दिया था.

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