उत्तराखंड न्यूज़ताज़ा ख़बरें

करीब एक हजार साल पुराने तुंगनाथ मंदिर को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) विभाग अपने संरक्षण में लेने की तैयारी कर रहा है।

करीब एक हजार साल पुराने तुंगनाथ मंदिर को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) विभाग अपने संरक्षण में लेने की तैयारी कर रहा है। इसकी स्वीकृति मिलने के साथ ही मंदिर को राष्ट्रीय धरोहर का दर्जा मिल जाएगा। वहीं, मंदिर की दीवारों पर उभरी दरारों को भरने के लिए भी एएसआइ का देहरादून स्थित क्षेत्रीय कार्यालय प्रस्ताव तैयार कर रहा है। इसके तहत साइट प्लान तैयार करने को एएसआइ की टीम शुक्रवार को तुंगनाथ रवाना होगी। टीम में एक पुरातत्वविद्, सर्वेयर व इंजीनियर शामिल हैं।

एएसआइ के क्षेत्रीय कार्यालय के अधीक्षण पुरातत्वविद् डॉ. आरके पटेल के मुताबिक, मंदिर के मंडप की स्थिति खस्ताहाल है। यहां दरारों के साथ ही पत्थर भी अपनी जगह से हिल गए हैं। खासकर मंडप की नींव वक्त के साथ कमजोर पड़ गई है। पटेल के मुताबिक, एक माह के भीतर प्रस्ताव तैयार कर केंद्र सरकार को भेज दिया जाएगा। उम्मीद है कि अगले साल अप्रैल तक संरक्षण का कार्य शुरू कर दिया जाएगा।

वर्ष 2018 में एएसआइ ने किया था निरीक्षण:
तुंगनाथ मंदिर को राष्ट्रीय धरोहर की सूची में शामिल करने के लिए राज्य सरकार लंबे समय से प्रयास कर रही है। ताकि राज्य धरोहर के बाद तुंगनाथ मंदिर को राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान मिल सके। वर्ष 2018 में राज्य सरकार ने एएसआइ को इस संबंध में प्रस्ताव भेजा था। यहां से प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया और केंद्र सरकार (संस्कृति मंत्रालय) के निर्देश पर अधीक्षण पुरातत्वविद् डॉ. पटेल ने वर्ष 2018 में ही मंदिर का निरीक्षण किया। उन्होंने मंदिर की स्थिति में सुधार की जरूरत बताई थी।

पत्थरों की ड्राइंग होगी तैयार:
प्रस्ताव तैयार करने के ही क्रम में एएसआइ की टीम को जल्द तुंगनाथ रवाना किया जाएगा। टीम करीब 10 दिन वहीं रहकर मंदिर का बारीकी से निरीक्षण करेगी। वहां के हर एक पत्थर की ड्राइंग तैयार की जाएगी, ताकि बाद में उन पत्थरों को मूल रूप में ही स्थापित किया जा सके। निर्माण में नए पत्थर का प्रयोग नहीं किया जाएगा।

पंच केदार में से एक है तुंगनाथ:
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में समुद्रतल से 3460 मीटर की ऊंचाई पर स्थित तुंगनाथ मंदिर पंच केदार में से एक है। इसे तृतीय केदार माना गया है। पौराणिक मान्यता है कि पांडवों ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए इस मंदिर का निर्माण किया था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *


Warning: Undefined variable $var_ca82733491623ed9ca5b46aa68429a45 in /home/kaizenin/worldnewsadda.com/wp-content/themes/colormag/footer.php on line 132