उत्तराखंड न्यूज़ताज़ा ख़बरेंशिक्षासामान्य ज्ञानसोशल मीडिया वायरल

यह एकमात्र विश्वविद्यालय होगा जो एक साल हल्द्वानी स्थित एक होटल के कमरे में चला।

राज्य गठन के बाद जनप्रतिनिधियों, शिक्षा विदों, नेता-मंत्रियों के अथक प्रयासों से उत्तराखंड में कई उच्च स्तरीय शिक्षण संस्थानों की शुरूआत हुई। उच्च शिक्षा के लिए कई विश्वविद्यालयों और डिग्री कालेजों, निजी शिक्षण संस्थान बने। राज्य बनने के पांच साल बाद दूरस्थ शिक्षा प्रणाली पर आधारित एक विश्वविद्यालय की भी शुरूआत हुई। जो कि शायद ऐसा एकमात्र विश्वविद्यालय होगा जो एक साल हल्द्वानी स्थित एक होटल के कमरे में चला।

इसके बाद 2010 तक शहर के अन्य किराए के कमरों में चला। 2012 में इसे 25 एकड़ की अपनी खुद की भूमि मिली। शुरूआत में केवल 500 विद्यार्थियों से शुरुआत कर आज 70 हजार की छात्र संख्या वाला ये विश्वविद्यालय और कोई नहीं बल्कि उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय है। यूओयू के कुलपति प्रो. एसएस हसन, प्रो. विनय पाठक, प्रो. सुभाष धूलिया, प्रो. नागेश्वर राव, प्रो. ओपीएस नेगी रह चुके हैं।

2005 में हुई स्थापना:
उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय की स्थापना साल 2005 में राज्य विधान सभा के अधिनियम 23 के तहत हुई। यह सरकार का एकमात्र मुक्त विश्वविद्यालय है। जिसका उद्देश्य मुक्त एवं दूरस्थ शिक्षा प्रणालियों के माध्यम से उच्च शिक्षा को प्रदेश के दूर-दराज के सीमांत क्षेत्रों, विशेषकर पहाड़ी भू-भाग के अंदरूनी क्षेत्रों तक पहुंचाना है।

आठ साल तक किराए में चला विवि:
2005 में स्थापना के बाद यूओयू के कार्यालय के लिए छत की तलाश शुरू हुई। सबसे पहले 2006-07 में इसे नैनीताल रोड स्थित एक होटल के कमरे में चलाया गया। कुछ समय बाद इसे तिकोनिया स्थित लोनिवि के गेस्ट हाउस में शिफ्ट किया गया। 2009 में कुसुमखेड़ा में एक किराए के मकान में यहविश्वविद्यालय ले जाया गया। अक्टूबर 2010 में फिर शिफ्ट होकर ऊंचापुल में किराए के मकान में यह विश्वविद्यालय चला। जहां यह 2012 तक चला। इस अवधि में कुलपति समेत अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों की संख्या एक दर्जन के आसपास थी।

25 एकड़ में पड़ा नींव का पहला पत्थर:
अपने स्थापना के आठ साल तक एक से दूसरे जगह शिफ्ट होने के बाद यूओयू को आखिरकार अगस्त 2012 में तीनपानी में 25 एकड़ की भूमि मिली। जहां नींव का पहला पत्थर रखा गया। तब से अब तक विश्वविद्यालय लगातार नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। वर्तमान में यहां 150 से अधिक अधिकारी-कर्मचारी कार्यरत हैं।

500 से 70 हजार पहुंची छात्र संख्या:
यूओयू की कामयाबी और लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि स्थापना के कुछ वर्षों तक यहां 500 से एक हजार तक ही विद्यार्थियों ने पंजीकरण कराने में दिलचस्पी दिखाई। लेकिन जैसे-जैसे अपना परिसर मिलने के बाद रोजगारपरक कोर्स शुरू होते गए छात्र संख्या में भी इजाफा होने लगा। वर्तमान में विवि की प्रवेश प्रक्रिया जारी है और छात्र संख्या 70 हजार तक पहुंच चुकी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *


Warning: Undefined variable $var_ca82733491623ed9ca5b46aa68429a45 in /home/kaizenin/worldnewsadda.com/wp-content/themes/colormag/footer.php on line 132