मेरा हमदर्द
दर्द और हमदर्द की क्या अजीब तस्वीर है |
क्या मेरी जिंदगानी की यही असल तकदीर है ?
मैं चलता ही रहा , कारवाँ छूटता ही रहा |
क्या मेरे पैगम्बर की यही तदबीर है ?
मुफलिसी का आलम , रईसों के जलवे |
इतना विरोधाभास क्यूँ , क्या यही मुल्क की तकदीर है ?
मेरे खुदा , तुझे मेरी इबादत का वास्ता |
दिखा कोई अमन की राह , यही मेरी तकरीर है |