मुख्यमंत्री रावत के द्वारा देहरादून में पुष्प वर्षा
रंगोली की मुहीम : देहरादून की सड़कों पर फूलदेई की रही धूम ! आम से लेकर खासजन के यहां बिखेरे बच्चों ने फूल ।
देहरादून की सड़कों पर फूलदेई की रही धूम !
* राजभवन प्रांगण से हुई शुरुआत ।
* महामहीम के द्वार पर नौनिहालों की फूलों की वर्षा ।
* मुख्यमंत्री आवास भी पहुंची नौनिहालों की टोली ।
* राज्यपाल व मुख्यमंत्री ने परम्परानुसार चावल और गेहूं दिए भेंट में ।
* खास से लेकर आमजन के द्वार द्वार बरसाए फूल ।
* उपहार पाकर बच्चे हुए खुश ।
* महामहीम ने राजभवन बच्चों को करवाया नाश्ता अपने हाथों से परोसे पकवान ।
* मुख्यमंत्री हरीश रावत और राज्यपाल कृष्ण कान्त पॉल ने रंगोली आंदोलन के मूहीम को सराहा ।
प्रकृति से जुड़ा सामाजिक, सांस्कृतिक, एवं लोक-पारंपरिक त्योहार जो एक अनूठी पर्वतीय संस्कृति की त्रिवेणी ‘फूल-फूल माई’ / ‘फूल देई’ त्योहार है , के संरक्षण व संबर्धन मे रंगोली आन्दोलन की एक मुहीम ।
देहरादून, फूल-फूल माई / फूल देई त्यौहार मानव व प्रकृति के पारस्परिक संबंधों का ऋतु पर्व है । आज राजधानी देहारादून में ‘रंगोली आंदोलन’ की रचनात्मक मूहीम के चलते इस हिमालयी पावन ऋतु पर्व को नौनिहालों ने बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया । सबसे पहले बच्चों की सामूहिक टोली राज्यपाल के द्वार पर पहुंची जहां उन्होने राजभवन के द्वार पर एक साथ मिलकर रंग बिरंगे फूलों की बरसात की । महामहीम भी पर्वतीय परंपरानुसार तय वक़्त पर अपने द्वार पर बच्चों के स्वागत के लिए खड़े थे । इस बीच सभी बच्चे द्वार पर फूल बरसाते हुए ‘फूल-फूल माई दाल द्ये चावल द्ये खूब खूब खाजा’ गाते रहे । परम्परानुसार बच्चे यह तब तक गाते हैं जब तक उन्हें गृह स्वामी की ओर से उपहार स्वरूप कुछ भेंट मे नहीं मिल जाता है ।
इसी बीच राज्यपाल कृष्णकांत पॉल ने भी परम्परानुसार बच्चों को अपने हाथ से एक एक मुट्ठी चावल व गेहूं भेंट मे दिया तत्पश्चात राज्यपाल ने नौनिहालों को गिफ्ट पैकेट भी दिए ।
राजभवन के बाद सभी बच्चे 50 बच्चे मुख्यमंत्री आवास पहुंचे जहां उन्होने कार्यवाहक मुख्यमंत्री हरीश रावत के द्वार पर भी पुष्प वर्षा की मुख्यमंत्री हरीश रावत एवं उनकी पत्नी रेणुका रावत ने द्वार पर खड़े बालभगवान स्वरूप बच्चों को परंपरानुसार गेहूं, गुड और चावल के अलावा अन्य उपहार भेंट किए ।मुख्यमंत्री के साथ मीडिया प्रभारी सुरेन्द्र अग्रवाल सहित अन्य लोग मौजूद थे ।
मुख्यमंत्री आवास के बाद बच्चों की टोली एस एस पी स्वीटी अग्रवाल के आवास पर गए जहां स्वम पुलिस कप्तान ने अपनी देहरी पर बच्चों का स्वागत कर उन्हें उफार दिये । वही से फिर बच्चे राजपुर रोड स्थित आई एल एफ एस स्किल कर्मचारियों के बुलावे पर गए जहां उनके लिए नाश्ते का इंतजाम किया गया था । वहाँ पर भी संस्था प्रमुख रमेश पेटवाल ने परंपरानुसार भेंट बच्चों को भेंट दी । तदुपरान्त बच्चों की टोली बलबीर रोड स्थित एम एल जुयाल के घर पहुंची जहां पर पर्वतीय समाज की महिलाओं ने मांगलगीतों के साथ नौनिहालों का स्वागत किया । साथ ही बच्चों की टोली विधायक हरबंश कपूर के बुलावे पर उनके आवास पर भी गए जहां उन्होने भी बच्चों को उफार बांटे ।
रंगोली आंदोलन के संस्थापक व फूल देई के आयोजक शशि भूषण मैठानी पारस ने बताया कि बच्चों की टोली देख फिर आसपास से लोग उन्हें अपने अपने घरों मे बुलाने की जिद्द कर रहे थे लेकिन समय का अभाव होने के कारण सभी घरों मे जाना संभव नहीं हो पाया जबकि बच्चों ने राजपुर रोड, बलबीर रोड , तेगबहादुर रोड , लक्ष्मी रोड , बसंतबिहार , व इंदिरानगर सीमाद्वार आदि क्षेत्रों के उन सभी आम घरों मे जा जाकर पुष्प वर्षा की जिन गृह स्वामियों को पिछले एकमाह से इस बाल पर्व के बारे मे जानकारी रंगोली टीम की ओर से दी गई थी । आयोजक मैठानी ने बताया कि उनकी यह मुहीम विगत तीन वर्षों से जारी है और अब इस पर्व को लेकर क्या आम और क्या खास सभी मे जबर्दस्त उत्साह देखने को मिल रहा है । जिसे अब अगले वर्ष से और अधिक व्यापकता दी जाएगी प्रत्येक मौहल्ले मे अलग-अलग टोली बनाकर बच्चों को घर घर भेजा जाएगा ।
साथ ही मैठानी ने आज मुख्यमंत्री व राज्यपाल को दिए अपने लिखित ज्ञापन के मार्फत यह भी मांग कि है कि उनकी इस मूहीम के बाद कई संगठन भी इसके संरक्षण व संबर्धन के काम मे आगे आएंगे , लेकिन सरकार से विनम्र आग्रह है कि किसी भी आयोजक स्वयं सेवी संस्थावों या बच्चों की टोली को कभी भी रुपया / पैसा भेंट मे या आर्थिक मदद के तौर पर न दिया जाय एसा करने से फिर यह मूहीम भी सिर्फ धन जुटाने का माध्यम बनकर रह जाएगी । मैठानी ने कहा कि रंगोली आंदोलन उनकी एक सोच है जिसमें उन्हें हर तबके का साथ मिल रहा है । कहा कि रंगोली आंदोलन कोई एन जी ओ या संगठन नहीं है बल्कि यह आम लोगों के सहयोग से बनाया गया एक जनचेतना समूह है । मैठानी ने कहा कि आज के इस आयोजन पर मेरा महज 6 सो रुपया का खर्चा आया है इसके लिए मुझे किसी सरकार या संस्था की मदद की कभी भी जरूरत नहीं होगी । कहा कि जिस तरह हम होली दिवाली स्वयं के संसाधनो से मनाते हैं इसी तरह यह पर्व भी मनाया जाना चाहिए । यह पैसों से नहीं बल्कि भावनाओं से संरक्षित होगा । लेकिन उन्होने कहा कि वह लगातार तीन वर्षों से सरकार से मांग कर रहे हैं कि फूलदेई पर्व के मौके पर हर वर्ष सरकारी अवकाश का प्रविधान हो और इसे एक सांस्कृतिक पर्व घोषित किया जाया साथ केंद्र सरकार से अनुरोध किया जाय कि इसे राष्ट्रीय बाल फूलपर्व घोषित किया जाय ।
उन्होने कहा कि रंगोली आंदोलन का संस्थापक होने के नाते मुझे इस बात की बेहद खुशी है कि आज मेरी इस पहली पहल मे महामहीम राजपाल, माननीय मुख्यमंत्री जी के अलावा एस0एस0पी0 स्वीटी अग्रवाल, आई एल एफ एस स्किल संस्था, हिल फाऊंडेशन स्कूल सीमाद्वारा बसंत बिहार, मेपल बियर स्कूल सर्कुलर रोड डालनवाला, मदर टीचर स्कूल, मेपल बियर स्कूल सहस्त्रधारा, दून इंटरनेशनल स्कूल, स्वस्तिक सेवा सोसाइटी, मदर्स प्राईड स्कूल, सी0एम0आई0 के निदेशक डा0 महेश कुड़ियाल , पद्मश्री डा0 आर0 के0 जैन , निदेशक हरेन्द्र सिंह जुनेजा, मदर्स प्राईड स्कूल के ब्रांच हेड अनुज अग्रवाल, मदर टीचर स्कूल के चेयरमेन मनीष मनवाल, सुनीता पाण्डेय, सोनल वर्मा, अरुण चमोली, राज कौशिक, चंद्र शेखर महरवाल, रमेश पेटवाल, राकेश बीजलवाण, मनोहर लाल जुयाल एवं जी0 एन0 कुलश्रेष्ठ आदि लोगों ने अपने घरों व संस्थानो मे बच्चों की टोलीयां आमंत्रित कर इस अभियान को अपना बहुमूल्य सहयोग भी प्रदान किया है । साथ ही शहर के विभिन्न स्कूलों मे आज यह पर्व बच्चों के बीच मनाया जा रहा है । आज इसी मौके पर रंगोली के तहत नौनिहालों की फूलदेई टोली द्वारा राजपुर रोड , हरिद्वार रोड , बसन्त बिहार , डालनवाला बलबीर रोड , व तेग बहादुर रोड के अनेकों घरों मे पारम्परिक रूप से द्वार द्वार पुष्प वर्षा की गई ।
पर्वतांचल की यह अनूठी बाल पर्व की परम्परा जो मानव और प्रकृति के बीच के पारस्परिक सम्बन्धों का प्रतीक है वह वर्तमान मे अपनी पहचान खोता जा रहा है । अत: आज के फूल फूल माई / फूल देई के शुभअवसर पर इस पत्र के मार्फत अपने सभी सम्मानित मीडिया संस्थानों , मीडिया कर्मियों, संस्कृति कर्मियों सामाजिक चिंतकों से निवेदन है कि व इस सामाजिक, सांस्कृतिक एवं पारम्परिक बाल पर्व के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु अपने स्तर से भी जोरदार पहल करें ।
मेरा सुझाव व मांग सरकार से यह भी है कि प्रत्येक वर्ष राज्य के सभी स्कूलों मे बच्चों को इस बालपर्व फूलदेई को मनाने के लिए प्रेरित किया जाय व इस परम्परा से संबन्धित लेख या कविताओं को नौनिहालों के पाठ्यक्रम मे भी शामिल किया जाय ।
अगर सरकार की ओर से इस विषय पर ठोस सकारात्मक पहल होती है तो मै भी अपने स्तर से रंगोली आंदोलन की पूरी ऊर्जा से सरकार के साथ चलकर हर सम्भव सहयोग के लिए तत्पर रहूँगा, मुझे आज उम्मीद ही नहीं अपितु पूर्ण विश्वाश है कि मेरे द्वारा सामाजिक, लोक परंपरा, संस्कृति संरक्षण के क्षेत्र मे चलाई जा रही रंगोली आंदोलन की यह मुहीम राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री के द्वार से अवश्य परवान चढ़ेगी, व आने वाले वर्षों मे यह यह बाल उत्सव राज्य मे ही नहीं अपितु देश और दुनियाँ के कोने कोने मे रहने वाले हमारे प्रवासी जन भी अपनाने लगेंगे ।