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घनसाली के विधायक शक्ति लाल शाह की पत्नी को पसंद नहीं हैं शहर में रहना 

आम तौर पर जनप्रतिनिधि विधायक बनते ही शहरों में श्प्टि हो जाते हैं और परिवार सहित पलायन कर जाते हैं। उत्तराखण्ड राज्य बनने के बाद तो अधिकांश विधायकों ने देहरादून सहित अन्य शहरों को अपना ठिकाना बना दिया। लेकिन घनसाली के विधायक की पत्नी ऐसी हैं जिन्हे शहरों का वातावरण पसंद नही है। वह अपने गांव में ही रहना पसंद करती हैं और पहाड़ की स्वच्छ हवा- पानी की मुरीद हैं।कमलेश्वरी शाह घनसाली से विधायक शक्ति लाल शाह की पत्नी है। कमलेश्वरी खेती बाड़ी करती हैं, पशुपालन करती हैं। गांव के ही एक आंगनवाड़ी केन्द्र में सहायिका भी है। आंगनवाड़ी केन्द्र के संचालन के बाद वह अपने घर का काम निपटाती हैं। अपनी भेंस के लिये चारा पत्ती लाती हैं और शाम सुवह भैंस पिजाती हैं। गांव में अपनी पारम्परिक खेती करती हैं। उनको अपने गांव का माहोल पसन्द है। कमलेश्वरी कहती है कि यंहा ताजी हवा – पानी सब तो है। कम से कम प्रदूषण तो नही है। अपनी जैविक खेती से उगाया अनाज मिलता है। उनका कहना कि पति के विधायक बनने के बाद उन्होने कभी शहरों में रहने की चाह नही रखी है। इधर विधायक शक्ति लाल भी गांव आने पर अपनी पत्नी के साथ काम हाथ बंटाते हैं। विधायक का कहना है कि पलायन पर रोक थाम के लिये खुद जनप्रतिनिधियों को पहल करनी होगी। उन्होने कहा कि कृषि और ओद्याानिकी के बलबूते उत्तराखण्ड स्वाबलम्बी बन सकता है। यंहा पर्यटन और तीर्थाटन की अपार संभावनायें हैं। युवाओं को पलायन के बजाय अपने घर में ही रोजगार की संभावनाये तलाशनी होंगी।उत्तराखण्ड में पलायन एक बड़ी समस्या है। राज्य बनने के बाद पलायन के आंकड़ों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। गांव के गांव लगातार खाली होते जा रहे हैं। बेहतर शिक्षा और चिकित्सा की कमी के चलते लोग पलायन को मजबूर हैं। ऐसे में जनप्रतिनिधियों को पहले पहल करनी होगी। गांवों में मूलभूत सुविधाओं को विकसित कर पलायन पर विराम लगाना होगा। उम्मीद है कि सरकार और आम जन इस तरफ पहल करेंगे, जिससे खाली और वीरान होते पहाड़ के गांवों खुशहाली आ सके।

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