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कोरोना के चलते शिक्षण संस्थानों के लिए यह साल काफी मुश्किल भरा रहा।

लॉकडाउन के बाद से स्कूल बंद रहे। ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से पढ़ाई कराई जा रही है। इससे छात्रों की पढ़ाई पर बुरा असर भी पड़ा। हालांकि, दूसरा पहलू यह भी है कि कोरोनाकाल के चलते स्कूलों को डिजिटल एजुकेशन से जुड़ने का मौका भी मिला। 
भले ही निजी स्कूलों के लिए ऑनलाइन कक्षाएं बड़ा प्रयोग न रहा हो, लेकिन शासकीय व अशासकीय स्कूलों के लिए ऑनलाइन कक्षाओं का संचालन चुनौती से कम नहीं रहा। संसाधनों की कमी के चलते कई छात्र ऑनलाइन कक्षा का अधिक लाभ नहीं ले पा रहे हैं। इन छात्रों के लिए दूरदर्शन उत्तराखंड में कक्षाओं का प्रसारण किया है।
वहीं, शिक्षा विभाग ने विद्या एजुकेशन एप से भी बच्चों को जोड़ा है। इस एप के माध्यम से सभी कक्षाओं के छात्रों को सभी विषयों का पाठ्यक्रम मुहैया कराया गया है। इसे छात्रों को डिजिटल एजुकेशन से जोड़ने की दिशा में सराहनीय कदम कहा जाएगा। हालांकि, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के कई छात्र ऑनलाइन कक्षा का लाभ कम ले पा रहे हैं।
 
साक्षरता अभियान भी चलाया:
जिलाधिकारी डॉ. आशीष कुमार श्रीवास्तव की पहल पर जिले में ‘पढ़ो दून-बढ़ो दून’ साक्षरता अभियान चलाया गया। इसमें जिले के निरक्षर लोगों को शिक्षा से जोड़ा जा रहा है। शिक्षा विभाग शिक्षक, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व एनजीओ की मदद से इस अभियान को पूरा करने में जुटा है। मुख्य शिक्षा अधिकारी आशारानी पैन्यूली भी खुद अभियान की निगरानी कर रही हैं।

यह साल कोरोना संक्रमण के कारण स्कूलों के लिए खासा चुनौतीपूर्ण रहा। फिर भी शिक्षा विभाग ने छात्रों की पढ़ाई प्रभावित न हो, इसके लिए पूरे समर्पित भाव से प्रयास किए। शासकीय व अशासकीय स्कूलों के छात्र भी ऑनलाइन पढ़ाई से जुड़े। विद्या एजुकेशन एप से उन्हें डिजिटल कंटेंट मुहैया कराया। साक्षरता अभियान भी लक्ष्य के करीब है। विभाग ने इस मुश्किल समय को अवसर के रूप में लिया है। इसमें कुछ समस्या जरूर आई, लेकिन सफलता भी मिल रही है।
-आशारानी पैन्यूली, मुख्य शिक्षाधिकारी

उच्च शिक्षा में रहा उतार-चढ़ाव:
उच्च शिक्षा के क्षेत्र में यह साल उतार-चढ़ाव वाला रहा है। कोरोनोकाल के चलते कॉलेजों की दाखिला प्रक्रिया खासी प्रभावित रही। लॉकडाउन के बाद उच्च शिक्षण संस्थान करीब नौ महीने बाद बीती 15 दिसंबर को खोले जा सके। अभी सिर्फ प्रैक्टिकल की कक्षाएं चल रही हैं। देहरादून के प्रमुख चार अशासकीय कॉलेजों की करें तो यहां शिक्षक-कर्मचारियों का कई हफ्ते से चल रहा प्रदर्शन भी अच्छी तस्वीर नहीं है। शिक्षक व कर्मचारी राज्य विवि अधिनियम-1973 से अनुदान का प्रावधान हटाने के विरोध में हैं।

पिछले कुछ दिनों से छात्र संगठन भी आंदोलन में कूद गए, इसके बाद से आंदोलन ने गति पकड़ी है। नए सत्र में दाखिले भी प्रभावित रहे। एचएनबी गढ़वाल केंद्रीय विवि द्वारा कई सेमेस्टर का परिणाम न आने के कारण सैकड़ों छात्र अगली कक्षा में प्रवेश से वंचित होते रहे।

उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय द्वारा भी बी.टेक अंतिम वर्ष का परिणाम जारी नहीं हुआ। इस कारण हजारों छात्र नौकरी से वंचित हुए हैं। हालांकि, एचएनबी विवि के दीक्षांत समारोह में एक बार फिर डीएवी, डीबीएस, एसजीआरआर पीजी कॉलेज के छात्रों का दबदबा कायम रहा। छात्र गोल्ड व सिल्वर मेडल कब्जाने में कामयाब रहे।

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