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लड़की जिंदा थी फिर भी लगा दी चिता पर आग चिता, हैरान कर देने वाली है ये खबर

UP के अलीगढ़ में लड़की के अधजले शव को पुलिस ने रविवार को कब्जे में कर लिया था। वह जिंदा थी जब उसे चिता पर रखा गया। ये बात तब सामने आई जब सोमवार को उसका पोस्टमॉर्टम हुआ। दो डॉक्टरों के पैनल ने सीएमओ के साथ रिपोर्ट बनाई कि उसकी मौत चिता में जलाए जाने के दौरान शॉक से हुई थी ये बात बताई। हालांकि, हॉस्पिटल के डॉक्टर ने चिता पर जलाने के करीब 8 घंटे पहले ही रचना को मृत बताते हुए सर्टिफिकेट जारी किया है।

बुलंदशहर जिले की रहने वाली छात्रा रचना सिसोदिया ने दिसंबर 2016 को अलीगढ़ के रहने वाले देवेश उर्फ देव चौधरी से भागकर आर्य समाज मंदिर, ग्रेटर नोएडा में शादी की थी। देवेश के मां-बाप नहीं हैं और रचना का परिवार करीब 12 साल पहले अलीगढ़ के गांव बरौली शि‍फ्ट हो चुका है।
रचना का ये ननिहाल था। शादी के बाद दोनों भट्ठा पारसौल में रहने लगे थे।

 

देवेश के मुताबिक, रचना काफी दिनों से बीमार चल रही थी। उसके फेफड़ों में पानी भर गया था। 23 फरवरी को उसे नोएडा के शारदा हॉस्पिटल में भर्ती भी कराया गया था जहाँ  25 फरवरी की रात 11.45 बजे उसकी मौत हो गई।

अस्पताल की डॉ. शैला ने उसका डेथ सर्टिर्फिकेट भी जारी किया है। इसके दस्तावेज पुलिस को सौंप दिए हैं।

बता दें, कि 25 फरवरी देर रात देवेश पत्नी का शव लेकर गांव पहुंचा था। रविवार को तड़के गांव में ही दाह संस्कार शुरू हो गया।

रचना के भाई को जब गांव के लोगों से इसकी जानकारी मिली तो उसने पुलिस को सूचना दे दी। पुलिस ने आनन-फानन में पहुंचकर जलती चिता से शव को निकाल लिया और पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया। लेकि‍न तब तक शव 70 परसेंट जल चुका था।

इसके बाद लड़की के मामा ने देवेश समेत 11 लोगों के खिलाफ रेप कर हत्या की रिपोर्ट दर्ज करा दी थी, लेकिन आरोपी फरार हो गए।
सोमवार को जब पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आई तो सबके होश उड़ गए। रिपोर्ट में लिखा था कि रचना की मौत चिता में जलाने के दौरान शॉक से हुई है। डॉ. चरन सिंह और डॉ. पंकज मिश्र के पैनल ने इस निष्कर्ष पर पहुंचने में करीब घंटे भर का समय लगाया। खुद सीएमओ डॉ एमएल अग्रवाल भी वहां मौजूद थे।

डॉक्टरों ने डीएनए टेस्ट के लिए हड्डी के 1 टुकड़े को संरक्षित कर पुलिस को सौंप दिया है। घटना की जांच के दौरान आगे इसकी जरूरत पड़ सकती है।

डॉ. चरन सिंह और डॉ. पंकज मिश्र के मुताबिक, पोस्टमॉर्टम के दौरान रचना के फेफड़े और श्वांस नली पर कुछ जले हुए कण चिपके मिले थे। ऐसा तभी होता है, जब कोई व्यक्ति अचेत अवस्था में जिंदा जलाया जाए। सांस के साथ ही जले हुए बारीक कण फेफड़े तक जा सकते हैं। मुर्दा होने पर ऐसे कण फेफड़े तक नहीं पहुंच सकते।
डॉक्टरों ने यही कण देखकर रचना के जिंदा जलाए जाने की बात की पुष्टि अपनी रिपोर्ट में की है। इसके अलावा उनका कहना था कि 26 फरवरी दोपहर को 1 बजे के करीब पोस्टमॉर्टम के समय बॉडी को मरे हुए ज्यादा देर नहीं हुए थे, जबकि डेथ सर्टिफिकेट में मौत का समय 25 फरवरी रात 11:45 का है।

एसएसपी राजेश पांडेय के मुताबिक, रचना की मौत की वजह चिता में जलाने के दौरान शॉक से बताई गई है। पोस्टमॉर्टम के दौरान शव 70 परसेंट जल गया था।
शायद इसी कारण मौत की वजह ऐसी आई है। हालांकि, नोएडा के हॉस्पिटल ने मौत की पहले ही घोषणा कर दी थी।

मामला बहुत गंभीर है, कार्रवाई चल रही है। हम आरोपियों की भी तलाश कर रहे हैं।

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