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चाँदपुर गढ़ उत्तराखण्ड - World News Adda
उत्तराखंड न्यूज़

चाँदपुर गढ़ उत्तराखण्ड

चाँदपुर गढ़

गढ़वाल के एतिहासिक गाथाओं का प्रचलन उनके गढ अर्थात किलो के बारे आपने सुना ही होगा। गढ़वाल में 52 गढ़ों का  अध्याय बहुत ही रोमांचक रहा है। इन्हीं 52 गढ़ों में से चाँदपुर गढ़ भी सबसे लोकप्रिय रहा है। गढ़वाल का प्रारम्भिक इतिहास कत्यूरी राजाओं के नाम रहा है। चाँदपुर गढ़ चमोली जिले के आदिबद्री के निकट स्थित है। गढ़वाल का प्रारम्भिक इतिहास कत्यूरी राजवंशों की विशेष चर्चा मिलती है। पश्चिमी राजवंश नेपाल नरेश अशोकचल्ल ने 1191 ई0 में उत्तराखण्ड पर आक्रमण कर अधिकतर क्षेत्र को अपने आधिकारिक किया, लेकिन यह शासन ज्यादा समय के लिए नहीं चल सका। 888 ई0 में चाँदपुर में राजा कनकपाल ने परमार वंश की स्थापना की थी।परमार वंश के सर्वप्रथम नरेश कार्तिकेयपुरी नरेशों के सामंत रहे। इस वंश के सबसे प्रभावशाली और शक्तिशाली राजा अजयपाल ने चाँदपुर गढ़ी से अपनी राजधानी पहले देवलगढ़ और फिर श्रीनगर में स्थापित की। इतिहास के अनुसार कत्यूरी राजाओं द्वारा जोशिमठ में अपना शासन किया और 11वीं शताब्दी के उपरांत वे अल्मोड़ा चले गए। तत्पश्चात उनके गढ़वाल से हटने के बाद गढ़वाल में अनेक छोटे-छोटे गढ़ों का उदय प्रारम्भ हुआ, जिनमें परमारवंश के शक्तिशाली राजा कनकपाल जिन्हें इस वंश का संस्थापक माना जाता है। राजा कनकपाल ने आदिबद्री (चमोली जिले में स्थित) के निकट चांदपुर स्थित अपना गढ़ स्थापित किया जो आगे चलकर चाँदपुर गढ़ के नाम से प्रसिद्ध हुआ। यह स्थल सड़क से करीब 1 किमी की ऊंचाई पर स्थित है। इस महल में अनेक प्रकार के हस्तलिपि, कलाचित्र के अवशेष व विष्णु का मंदिर भी स्थापित है। महल की संरचना अवशेष के साथ ही रसोई, स्नानघर व पूजाघर भी है। स्थानीय लोगों के अनुसार महल के एक हिस्से से सुरंग है, जो करीब 500 फीट नीचे है, जो नदी के किनारे मिलती है।

पाल पंवार परमार  वंश
महाराजा भानु प्रताप के वंषज 229 वर्ष तक चाँदपुर  गढ में राज किया –
1 -कनक पाल- a- गुजरात से गढवाल आये कनक पाल
b- भानूप्रताप ने अपनी पुत्री की शादी कनक पाल से  करायी ।
c- भानुप्रताप ने चांदपुर  गढ का सिहासन कनक पाल को दियां। 745-757
2 -शायमपाल- 757-782
3 -पारादूपाल – 782-813
4 -अभिगतपाल- 813-838
5- सिम्रतपाल (पुरनपाल) – नौटी में शीयन्त्र लेगयें । 838-858
6 -रत्नपाल- 858-900
7 -शालिपाल- नन्दा जात आरम्भ 907-915
8 -विधिपाल- 915-935
9 -मदनपाल-1 935-952
10 -भक्तिपाल- 952-977
11- जयचन्दपाल- 977-1006
12- पृथ्वीपाल- 1006-1030
13 -मदनपाल2- 1030-1052
14– अगस्त्यपाल- 1052-1072
15- कान्तीपाल- 1072-1094
16 -जयसिहपाल- 1094-1113
17 अनत्यपाल- मलूवाकोट 1113-1129
18 आनन्दपाल- 1129-1141
19 विभोगपाल- 1141-1159
20 सुविज्ञानपाल- 1159-1173
21 विक्रमपाल- अमुवाकोट 1173-1188
22 विचिव्रपाल- 1188-1198
23 हंसपाल- 1198-1209
24 सोनपाल- भिलंगगढ़ 1209-1216
25 कान्तीपाल- 1216-1221
26 कामदेवपाल- 1221-1236
27 सलक्षणदेव- 1236-1254
28 लक्ष्मणदेव- 1254-1277
29 मुकन्ददेव- 1277-1298
30 पूर्वदेव- 1298-1317
31 अभयदेव- 1317-1324
32 जयरामदेव- 1324-1347
33 आसनपाल- 1347-1356
34 जगतपाल- 1356-1368
35 जीतपाल- 1368‘-1387
36 आनन्दपाल- 1387-1415
37 अजयपाल 1415-1520 (1) 1512 में देवलगढ राजधानी (2) 1517 मे श्रीनगर राजधानी (3) कप्फू चैहान का बध (4) पाथे का प्रचलन (5) श्रीनगर मे कामलेश्वरी की स्थापना (6) बावन गढ पर विजय
38 कल्याणपाल- 1 लोदी वंश से शाह की उपधि 1446-1455
39 सुन्दरपाल- 1455-1470
40 हंसपाल- 1470-1483
41 विजयपाल- 1483-1494
42 सहजपाल- 1494-
43 बलभद्रशाह
44 मानशाह
1. माधो सिंह भण्डारी वीर भड थे
2. तिब्बत पर विजयी
45 शामशाह
1- सुमाडी गांव के आदमी को प्रति दिन मृत्यु दण्ड
2- पन्थादादा ने राजा के यहां न जा कर खुद को सुमाडी मे फासी लगाई
46 -समशाह
47 -महिपतिशाह
1- चन्द्रवश लक्ष्मी चन्द्र से सात पार युद्व जीता
2- लोदी रखोला पूरीमा नैथाणी वीर भड थें माधो सिंह भण्डारी
3- माधो ने मलेथा सुरंग बनाई 1634 में 1631-1635
शिरोमणि राजमाता कर्णावती 1 महारानी कर्णावती ने राजपूर देहरादून – कर्णपूर नगर की स्थापना
2 कर्णावती ने पतेहपूर में मुसलमान सेना की नाक काटी थी
3 गुरू रामदास ने समर्थन एवं श्रीनगर भेट
4 दिल्ली में मूगल सम्राट शाहजहां था
48 -पृथ्वीपतिशाह 1 दाग शिकोट का पुत्र सुलेमान शिकोट श्रीनगर आया
49 -मदिनीपतिशाह  1 सुलेमान की औरगजेब के पारू लेगया
2 औंरगजेब के दरवार मे रहा ।
50 -फतेहशाह 1 फावटा साहिब में गुरू गोविन्द से युद्व में सन्धि
2 पुण्डीर सरदार जगत सिह से युद्व ।
3 गुरू रामराय को देहरादून घाटी में तीन गांव की जागीर, खुडवूडा, राजपूर, चामासारी ।
4 गुरू राम राय ने खुडवूडा ग्राम में झण्डा गाडकर वही स्थायी हो गयें ।
5 गुरू राम राय ने गुरू गं्रथ साहब का पाठ औंरगजेब के दरवार में प्रयोग कि या सिक्ख समुदाय उनसे नाराज थे ।
6 ज्ञानचन्द ने थराली पिण्डर घाटी सावली खाटली चैदकोट परलूट पात की ।
7 पुरीया नैथाणी ने श्रीनगर में जगत चंद को बुलाया
51 उपेन्द्रशाह 1716-1717
52 प्रदीपशाह 1717-1772
1 प्रदीप शाह को , धामावाला, मिठूवाला, पण्डिवाडी़़ धरता वाला चार गांव की जागीर दी ।
2श्रीमती पंजाव कौर ने एक विशाल गुरूदारे का निर्माण कराया जिस स्थान पर प्रथम झण्डा गाडा था
1-दुलाहराम 1रूप चन्द ने वाघाण पर आक्रमण ।
53 2-ललितशाह 1777 में वग्वाली पोखर कुमाऊ सेना से युद्व किया ,
2दीप चंद द्वारा महरा एव फत्र्याल दलो मेल डाई , 1772-1780
3-जयकृतशाह दीप चन्द से युद्व
54 4-प्रधुम्नशाह
1 (गढवाल का अन्तिम राजा) प्रधुम्न शाह था ।
2 1780-1785 तक कुमाऊं परराज्य किया (अल्मोडा)
3 1785-1804 पर गढवाल श्रीनगर पर राज किया 1785-1804
4-देहरादून के खूडवडा मे अमर सिह थापा द्वारा वघ गोरखों का गढ़वाल पर शासन
1804 -1816 सिगौला की सधिं
ब्रिटिश गढ़वाल ———- टिहरी रियासत टिहरी
१- सुदर्शन शाह
२- भवानी शाह
३-प्रताप शाह
४- कीर्ति शाह
५- नरेंद्र शाह
५- मानवेन्द्र शाह

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