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क्या-क्या अधिकार है आपके पास FIR से जुड़े हुए मामलों में नीचे पढ़ें- World News Adda
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क्या-क्या अधिकार है आपके पास FIR से जुड़े हुए मामलों में नीचे पढ़ें-

FIR का नाम सुनते ही सभी के मन में भय का माहौल आ जाता है। अपने साथ हुए किसी भी क्राइम या वारदात की शिकायत पुलिस में करने के लिए FIR दर्ज करवाना जरूरी है, ताकि पुलिस क्राइम की तह तक जाकर दोषियों को सजा दिला पाए और पीड़ित को इंसाफ मिल सके। भारतीय दंड संहिता 1973 की धारा 154 के तहत FIR दर्ज कराई जाती है। ये आप का कानूनी अधिकार है।

 

एडवोकेट गुंजन चौकसे बताती हैं कि कई बार लोग FIR का महत्व नहीं समझने या उससे संबंधित जानकारी नहीं रखने पर अपना ही नुकसान करवा लेते हैं, जबकि FIR दर्ज करने से पुलिस कभी भी मना नहीं कर सकती है। यदि पुलिस ऐसा करती है तो पुलिस की भी शिकायत ऊपरी स्तर पर की जा सकती है।

 

क्या है FIR

-First information report(FIR) एक लिखित डॉक्यूमेंट है,जो Cognizable  और non Cognizable offence की सुचना मिलने पर पुलिस तैयार करती है. ये पीड़ित या पीड़ित के घर वालों की और से पुलिस स्टेशन मे दर्ज कराई जा सकती है.

-Cognizable offence मे पुलिस दोषी व्यक्ति को बिना वारंट के पकड़ सकती है, बिना कोर्ट आर्डर के पुलिस मामले की इन्वेस्टीगेशन शुरु करने के लिए authorized है.

-non Cognizable offence में पुलिस को दोषी व्यक्ति को अरेस्ट करने की authority नहीं होती है और ना ही बिना कोर्ट आर्डर के इन्वेस्टीगेशन कर सकती है.

FIR से जुड़े अधिकार

                 

पीड़ित उसके रिश्तेदार या कोई भी जानकार व्यक्ति fir फाइल कर सकता है.पुलिस किसी भी हालत में आपकी शिकायत सुनने और उसे दर्ज करने से माना नहीं  कर सकती.

 

-शिकायत लिखित या मौखिक हो सकती है. मौखिक शिकायत दर्ज करने पर आप पुलिसकर्मी से दोबारा fir सुनाने की रिक्वेस्ट कर सकते हैं.

 

-दर्ज शिकायत सुनने और पढ़ने के बाद ही आप fir रिपोर्ट पर साइन करें.अगर आप पढ़ या लिख नहीं सकते तो दाएं या बाएँ हाथ का अंगूठा लगाना होगा.

 

-fir फाइल होने के बाद पुलिस से आपको उसकी १ कॉपी लेनी चाहिए, जो पूरी तरह से फ्री होती है.

 

-मामला हमारे इलाके का नहीं है ये कहकर कोई भी पुलिस fir दर्ज करने से माना नहीं कर सकती.

 

-आप असिस्टेंट कमिश्नर /डिप्टी कमिश्नर / डी आई जी से लिखित कम्प्लेंट कर सकते है या पोस्ट से भेज सकते है प्राइवेट कम्प्लेंट कोर्ट मे भी कर सकते है. स्टेट या नेशनल ह्यूमन राईट कमीशन मे कम्प्लेंट कर सकते हैं.

 

-अगर केस बहुत सीरियस नहीं है या इन्वेस्टीगेशन करने का वाजिब कारण नहीं है तो पुलिस एक्शन नहीं लेगी भले ही आपने fir फाइल क्यों न की हो.

 

-गलत या झूठी कम्पलेंट फाइल करके पुलिस को गुमराह करना भी किसी अपराध से कम नहीं है. आपके खिलाप एक्शन लिया जा सकता है.

 

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